सियाह रात नहीं लेती नाम ढलने का
यही तो वक़्त है सूरज तिरे निकलने का
- शहरयार
कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है
ज़िंदगी एक नज़्म लगती है
- गुलज़ार
ज़िंदगी एक नज़्म लगती है
- गुलज़ार
उन का ज़िक्र उन की तमन्ना उन की याद
वक़्त कितना क़ीमती है आज कल
- शकील बदायूंनी
वक़्त कितना क़ीमती है आज कल
- शकील बदायूंनी
दिल को ख़ुदा की याद तले भी दबा चुका
कम-बख़्त फिर भी चैन न पाए तो क्या करूं
- हफ़ीज़ जालंधर
कम-बख़्त फिर भी चैन न पाए तो क्या करूं
- हफ़ीज़ जालंधर
अंजाम को पहुंचूंगा मैं अंजाम से पहले
ख़ुद मेरी कहानी भी सुनाएगा कोई और
- आनिस मुईन
ख़ुद मेरी कहानी भी सुनाएगा कोई और
- आनिस मुईन
टूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देख कर
वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए
- सज्जाद बाक़र रिज़वी
वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए
- सज्जाद बाक़र रिज़वी
कहानी लिखते हुए दास्ताँ सुनाते हुए
वो सो गया है मुझे ख़्वाब से जगाते हुए
- सलीम कौसर
वो सो गया है मुझे ख़्वाब से जगाते हुए
- सलीम कौसर
फ़ासला नज़रों का धोका भी तो हो सकता है
वो मिले या न मिले हाथ बढ़ा कर देखो
- निदा फ़ाज़ली
वो मिले या न मिले हाथ बढ़ा कर देखो
- निदा फ़ाज़ली
ऐ आसमान तेरे ख़ुदा का नहीं है ख़ौफ़
डरते हैं ऐ ज़मीन तिरे आदमी से हम
- अज्ञात
डरते हैं ऐ ज़मीन तिरे आदमी से हम
- अज्ञात
बहुत हसीन सही सोहबतें गुलों की मगर
वो ज़िंदगी है जो कांटों के दरमियां गुज़रे
- जिगर मुरादाबादी
वो ज़िंदगी है जो कांटों के दरमियां गुज़रे
- जिगर मुरादाबादी
दोस्तों से मुलाक़ात की शाम है
ये सज़ा काट कर अपने घर जाऊँगा
- मज़हर इमाम
ये सज़ा काट कर अपने घर जाऊँगा
- मज़हर इमाम
हज़ार चेहरे हैं मौजूद आदमी ग़ाएब
ये किस ख़राबे में दुनिया ने ला के छोड़ दिया
- शहज़ाद अहमद
ये किस ख़राबे में दुनिया ने ला के छोड़ दिया
- शहज़ाद अहमद
न शब ओ रोज़ ही बदले हैं न हाल अच्छा है
किस बरहमन ने कहा था कि ये साल अच्छा है
- अहमद फ़राज़
किस बरहमन ने कहा था कि ये साल अच्छा है
- अहमद फ़राज़
जिस बरहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है
उस को दफ़नाओ मिरे हाथ की रेखाओं में
- क़तील शिफ़ाई
उस को दफ़नाओ मिरे हाथ की रेखाओं में
- क़तील शिफ़ाई
नाम तुम्हारा आता है
यादों में खो जाते हैं
- साबिर वसीम
यादों में खो जाते हैं
- साबिर वसीम
सख़्त हालात में जिए जाना
मौत है मौत ख़ुद-कुशी की तरह
- जावेद कमाल रामपुरी
मौत है मौत ख़ुद-कुशी की तरह
- जावेद कमाल रामपुरी
इतने मायूस तो हालात नहीं
लोग किस वास्ते घबराए हैं
- जां निसार अख़्तर
लोग किस वास्ते घबराए हैं
- जां निसार अख़्तर
एक चराग़ और एक किताब और एक उम्मीद असासा
उस के बाद तो जो कुछ है वो सब अफ़्साना है
- इफ़्तिख़ार आरिफ़
उस के बाद तो जो कुछ है वो सब अफ़्साना है
- इफ़्तिख़ार आरिफ़
फ़लक पर उड़ते जाते बादलों को देखता हूं मैं
हवा कहती है मुझ से ये तमाशा कैसा लगता है
- अब्दुल हमीद
हवा कहती है मुझ से ये तमाशा कैसा लगता है
- अब्दुल हमीद
'मुसहफ़ी' हम तो ये समझे थे कि होगा कोई ज़ख़्म
तेरे दिल में तो बहुत काम रफ़ू का निकला
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
तेरे दिल में तो बहुत काम रफ़ू का निकला
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
सभी के दीप सुंदर हैं हमारे क्या तुम्हारे क्या
उजाला हर तरफ़ है इस किनारे उस किनारे क्या
- हफ़ीज़ बनारसी
उजाला हर तरफ़ है इस किनारे उस किनारे क्या
- हफ़ीज़ बनारसी
अजीब दर्द का रिश्ता है सारी दुनिया में
कहीं हो जलता मकां अपना घर लगे है मुझे
- मलिकज़ादा मंज़ूर अहमद
कहीं हो जलता मकां अपना घर लगे है मुझे
- मलिकज़ादा मंज़ूर अहमद
इक शजर ऐसा मोहब्बत का लगाया जाए
जिस का हम-साए के आंगन में भी साया जाए
- ज़फर ज़ैदी
जिस का हम-साए के आंगन में भी साया जाए
- ज़फर ज़ैदी
कभी इश्क़ करो और फिर देखो इस आग में जलते रहने से
कभी दिल पर आँच नहीं आती कभी रंग ख़राब नहीं होता
- सलीम कौसर
कभी दिल पर आँच नहीं आती कभी रंग ख़राब नहीं होता
- सलीम कौसर
ये दुनिया नफ़रतों के आख़री स्टेज पे है
इलाज इस का मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं है
- चरण सिंह बशर
इलाज इस का मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं है
- चरण सिंह बशर
मुझे अब तुम से डर लगने लगा है
तुम्हें मुझ से मोहब्बत हो गई क्या
- जौन एलिया
तुम्हें मुझ से मोहब्बत हो गई क्या
- जौन एलिया
बुरी सरिश्त न बदली जगह बदलने से
चमन में आ के भी कांटा गुलाब हो न सका
- आरज़ू लखनवी
चमन में आ के भी कांटा गुलाब हो न सका
- आरज़ू लखनवी
ज़ख़्म लगा कर उस का भी कुछ हाथ खुला
मैं भी धोका खा कर कुछ चालाक हुआ
- ज़ेब ग़ौरी
मैं भी धोका खा कर कुछ चालाक हुआ
- ज़ेब ग़ौरी
हम से ये बार-ए-लुत्फ़ उठाया न जाएगा
एहसां ये कीजिए कि ये एहसां न कीजिए
- हफ़ीज़ जालंधर
एहसां ये कीजिए कि ये एहसां न कीजिए
- हफ़ीज़ जालंधर
मैं कश्ती में अकेला तो नहीं हूं
मिरे हमराह दरिया जा रहा है
- अहमद नदीम क़ासमी
मिरे हमराह दरिया जा रहा है
- अहमद नदीम क़ासमी
रात तो वक़्त की पाबंद है ढल जाएगी
देखना ये है चराग़ों का सफ़र कितना है
- वसीम बरेलवी
देखना ये है चराग़ों का सफ़र कितना है
- वसीम बरेलवी
रखना है कहीं पांव तो रक्खो हो कहीं पाँव
चलना ज़रा आया है तो इतराए चलो हो
- कलीम आजिज़
चलना ज़रा आया है तो इतराए चलो हो
- कलीम आजिज़
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